22 जनवरी 2025 को रामलला प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाएगा, जो भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप ‘रामलला’ की प्राण प्रतिष्ठा की स्मृति में समर्पित है। इस अवसर पर अयोध्या के भव्य मंदिर में भगवान रामलला को स्वर्ण मुकुट, पारंपरिक आभूषणों और कमल के फूल पर खड़े हुए रूप में सजाया जाएगा। भक्तजन इस दिन रामायण का पाठ, भजन-कीर्तन, और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान रामलला के दर्शन करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह दिन भगवान राम के आदर्शों को स्मरण करने और जीवन में उनके मूल्यों को अपनाने का संदेश देता है।
22 जनवरी 2025 को रामलला प्रतिष्ठा दिवस मनाया जाएगा। यह दिन भगवान श्रीराम के बाल रूप ‘रामलला’ की मूर्ति की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है। इस अवसर पर भक्तगण विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और रामायण का पाठ करते हैं।
प्रश्न: रामलला प्रतिष्ठा दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर: रामलला प्रतिष्ठा दिवस 22 जनवरी 2025 को मनाया जाएगा।
प्रश्न: रामलला प्रतिष्ठा दिवस का महत्व क्या है?
उत्तर: यह दिन भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप ‘रामलला’ की मूर्ति की स्थापना की स्मृति में मनाया जाता है, जो भक्तों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है।
प्रश्न: इस दिन कौन-कौन से धार्मिक कार्य किए जाते हैं?
उत्तर:
- भगवान रामलला की विशेष पूजा-अर्चना।
- रामायण का पाठ और भजन-कीर्तन।
- भक्तों द्वारा व्रत और उपवास का पालन।
- मंदिरों में विशेष आयोजन और प्रसाद वितरण।
प्रश्न: रामलला प्रतिष्ठा दिवस कहाँ मनाया जाता है?
उत्तर: यह पर्व विशेष रूप से अयोध्या में मनाया जाता है, लेकिन भगवान श्रीराम के भक्त इसे अपने-अपने स्थानों पर भी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।
प्रश्न: इस दिन का आध्यात्मिक महत्व क्या है?
उत्तर: रामलला प्रतिष्ठा दिवस भक्तों को भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप की लीलाओं का स्मरण कराता है, जिससे वे उनके आदर्शों और शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
रामलला की मूर्ति भगवान श्रीराम के बाल स्वरूप को दर्शाती है, जिसमें वे लगभग 5 वर्षीय बालक के रूप में प्रस्तुत हैं। मूर्ति का रंग श्यामल है, जो शालिग्राम पत्थर के समान होता है। भगवान रामलला बाएं हाथ में धनुष धारण किए हुए हैं, जबकि दायां हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में है। मूर्ति के मस्तक पर सूर्य और वैष्णव तिलक सुशोभित हैं, और कमल के समान नयन हैं। मूर्ति के चारों ओर भगवान विष्णु के दस अवतारों का चित्रण किया गया है, जो उनकी पूर्णता और दिव्यता का प्रतीक है।
प्रश्न: रामलला की मूर्ति का निर्माण किसने किया है?
उत्तर: रामलला की इस मूर्ति का निर्माण कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है, जिन्होंने शास्त्रों और परंपराओं के अनुसार इस अद्वितीय प्रतिमा का सृजन किया है।
प्रश्न: मूर्ति की विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर:
- मूर्ति की ऊंचाई 4.25 फीट और चौड़ाई 3 फीट है।
- वजन लगभग 200 किलोग्राम है।
- मूर्ति एक ही पत्थर से निर्मित है, जिसमें किसी भी प्रकार का जोड़ नहीं है, जिससे यह हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सकती है।
- मूर्ति के नीचे कमल का फूल बना हुआ है, जो भगवान के कमल जैसे पैरों का प्रतीक है।
- मूर्ति के सबसे निचले क्रम में हनुमानजी और गरुड़जी की आकृतियां भी उकेरी गई हैं, जो भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति और सेवा को दर्शाती हैं।
प्रश्न: मूर्ति के निर्माण में किस पत्थर का उपयोग किया गया है?
उत्तर: मूर्ति को काले रंग के शालिग्राम पत्थर से बनाया गया है, जो इसे जलरोधी बनाता है, जिससे इसे जल, रोली या चंदन से कोई नुकसान नहीं होगा।
प्रश्न: मूर्ति के आभूषणों में क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर:
- मूर्ति के मुकुट के केंद्र में सूर्य का प्रतीक है, जो सूर्यवंशी लोगो का प्रतीक है।
- मुकुट में हीरे जड़े हुए हैं, जिनका वजन 1.7 किलोग्राम है।
- तिलक में 3 कैरेट का प्राकृतिक हीरा लगा हुआ है, जिसके आसपास लगभग 10 कैरेट के छोटे हीरे लगे हैं।
- मूर्ति को बनारसी कपड़े से सजाया गया है, जिसमें पीली धोती और लाल ‘अंगवस्त्रम’ शामिल है, जिस पर सोने की ‘जरी’ का काम है।
भगवान रामलला की इस मनमोहक मूर्ति के दर्शन से भक्तों को आध्यात्मिक आनंद और शांति की अनुभूति होती है।
No comment