हिंदू पंचांग के अनुसार ग्यारहवी तिथि को एकादशी कहा जाता हैं। एकादशी तिथि महीने में दो बार आती है। पहली पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद। यदि एकादशी पूर्णिमा के बाद आती है तो इसे कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के बाद आती है तो इसे शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। ऐसे ही पूरे एक साल के 365 दिनों में 24 एकादशियां होती हैं।
साथ ही हर तीसरे वर्ष में अधिकमास होने से 2 एकादशी और जुड़ जाती है और यह एकादशी 24 से बढ़कर 26 हो जाती हैं। साल भर में आने वाली हर एकादशी को अलग अलग नाम से जाना जाता है हर एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है और हर एकादशी रखने का आपको अलग अलग फल भी मिलता है।
पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति एकादशी का व्रत करता रहता है, वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उसके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है साथ ही उसकी सभी इच्छाओं को पूर्ण होने में मदद मिलती है। आज इस आर्टिकल में हम आपको एकादशी व्रत कैसे किया जाता है और एकादशी का व्रत रखने से कौन कौन से फायदे मिलते हैं उसके बारे में बताने जा रहे हैं।
एकादशी व्रत रखने का तरीका
- यदि आप एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो आपको इसकी तैयारी दशमी तिथि से ही शुरू करनी चाहिए यानी की आपको दशमी तिथि को दिन ढलने से पहले भोजन कर लेना चाहिए और उसके बाद अन्न का सेवन बंद कर देना चाहिए।
- एकादशी का व्रत रखना बहुत ही आसान होता है इसके लिए आपको सबसे पहले व्रत के दिन सुबह समय से उठकर नहा धोकर साफ़ स्वच्छ कपडे पहनकर तैयार हो जाना चाहिए।
- उसके बाद पूजा के स्थान पर वेदी बनाकर 7 तरह का अनाज रखने चाहिए।
- फिर भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करनी चाहिए।
- उसके बाद भगवान को पीला चंदन, हल्दी में रंगे पीले अक्षत, पीले फूल, फल और तुलसी चढ़ाएं, धूप-दीप, दक्षिणा और नैवेद्य अर्पित करें।
- यह सब करने के बाद आपको एकादशी व्रत की कथा करनी चाहिए और आखिर में विष्णु भगवान की आरती करनी चाहिए।
- ध्यान रखें आप व्रत निर्जला रखना चाहते हैं, फलाहार, एक समय भोजन ( भोजन में आप प्याज, लहसुन, अन्न, अंडा, नॉन वेज आदि नहीं शामिल करें) करके रखना चाहते है, यह आप पर निर्भर करता है।
- उसके बाद अगले दिन यानी की द्वादशी के दिन नहा धोकर मंदिर में जाकर दान दक्षिणा व् खाने पीने की चीजों का दान करें या फिर घर में किसी ब्राह्मण को बुलाकर भोज करवाएं। ऐसा करने के बाद आपका एकादशी का व्रत सम्पूर्ण माना जाता है।
एकादशी का व्रत रखने के फायदे
यदि कोई व्यक्ति एकादशी का व्रत रखता है तो इसे रखने से आपको अलग अलग एकादशी से अलग अलग फायदें मिलते हैं। जैसे की:
- यह व्रत करने से व्यक्ति को निरोगी रहने में मदद मिलती है।
- भूत पिशाच से छुटकारा मिलता है।
- आपके पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- एकादशी का व्रत रखने से संकटों से बचे रहने में मदद मिलती है।
- आपके सभी कार्य सिद्धि होते हैं और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- एकादशी व्रत रखने से आपके विवाह में आ रही समस्याओं को दूर करने में मदद मिलती है और आपका शादीशुदा जीवन खुशहाल रहता है।
- धन और समृद्धि का घर में वास होता है और प्यार व् शांति बनी रहती है।
- पुत्र प्राप्ति का या संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है इसीलिए कई लोग पुत्रदा एकादशी का व्रत पूरे श्रद्धा भाव से करते हैं।
- मोह माया से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं का नाश होता है। और यदि आपकी तरक्की के मार्ग में यदि कोई शत्रु आता है तो उससे भी आपको बचाव करने में मदद मिलती है।
- निर्जला एकादशी का व्रत निर्जला व् निराहार रखने से आपके मन की हर इच्छा को पूरा होने में मदद मिलती है।
- दरिद्रता दूर हो जाती है और आपका सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता है।
- उत्त्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से हजारों यज्ञों के फल की प्राप्ति होती है।
- यदि कोई व्यक्ति को कोई समस्या हो तो उसे भी एकादशी का व्रत रखना चाहिए क्योंकि इसे रखने से उसकी समस्या दूर होती है और उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं।
एकादशी का व्रत रखने पर इन बातों का ध्यान रखें
- व्रत के दिन चावल, अन्न आदि का सेवन नहीं करना होता है।
- अंडा, मास मच्छी, नशीली चीजों के सेवन से परहेज रखना होता है।
- ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- किसी के दिल को ठेस न पहुंचाएं, बड़ो का सम्मान करें, लोगो की मदद करें, दूसरों की चुगली या निंदा नहीं करें।
- आप चाहे तो एकादशी के दिन दान धर्म का काम कर सकते हैं।
- एकादशी का व्रत रखने पर आपको किसी से भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।
तो यह है एकादशी का व्रत कैसे किया जाता है और एकादशी व्रत रखने के कौन कौन से फायदे होते हैं उससे जुडी जानकारी, यदि आप भी एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो आप भी इस विधि द्वारा एकादशी का व्रत रख सकते हैं। साथ ही एकादशी के व्रत के बेहतरीन फायदों को भी पा सकते हैं।
Ekadashi vrat karne ka tarika or ise rakhne ke fayde