प्रदोष व्रत को हम त्रयोदशी व्रत के नाम से भी जानते हैं क्योंकि यह व्रत त्रयोदशी के दिन किया जाता है। यह व्रत माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित होता है इसीलिए इस दिन माता पार्वती और भोलेबाबा की पूजा करने का विधान होता है। पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है की जो भी इस व्रत को करता है उसे इस व्रत को करने से बेहतर स्वास्थ और लम्बी आयु की प्राप्ति होती है। प्रदोष व्रत महीने में आने वाली त्रयोदशी तिथि को किया जाता है एक बार शुक्ल पक्ष में एक बार कृष्ण पक्ष में, तो आइये अब इस व्रत की जानकारी के बारे कुछ अन्य जानकारियां जानते हैं।
प्रदोष व्रत का महत्व
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत बहुत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है। व्रत रखने पर इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान शिव और माता पार्वती की अराधना करने से जातक के सारे कष्ट दूर होते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति मिलती है। पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है की यदि कोई जातक एक प्रदोष व्रत रखना है तो इस एक व्रत को करने का फल दो गायों के दान जितना होता है। इस व्रत के महत्व को वेदों के महाज्ञानी सूतजी ने गंगा नदी के तट पर शौनकादि ऋषियों को बताया था।
जब सूतजी इस व्रत की महिमा बता रहे थे तब उन्होंने कहा था कि कलयुग में जब अधर्म का बोलबाला रहेगा, लोग धर्म के रास्ते को छोड़ अधर्म की राह पर जा रहे होंगे तो उस समय प्रदोष व्रत एक माध्यम बनेगा जिसके द्वारा वो शिव की अराधना कर लोग अपने पापों का प्रायश्चित कर सकेंगे साथ ही अपने सारे कष्टों को दूर कर सकेंगे। इस व्रत की महिमा और महत्व के बारे में सबसे पहले भगवान शिव ने माता सती को बताया था, उसके बाद सूत जी को इस व्रत के बारे में महर्षि वेदव्यास जी ने सुनाया, जिसके बाद सूतजी ने इस व्रत की महिमा के बारे में शौनकादि ऋषियों को बताया था।
प्रदोष व्रत की विधि
- यह व्रत त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।
- इस व्रत में व्रती को निर्जल रहकर यानी की बिना पानी पीए व्रत रखना होता है साथ ही इस व्रत में भोजन का सेवन करना वर्जित होता है।
- व्रत के दिन प्रातः काल स्नान करके भगवान शिव की बेल पत्र, गंगाजल अक्षत धूप दीप सहित पूजा करें।
- उसके बाद संध्या काल में पुन: स्नान करके, सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करके इसी प्रकार से शिव जी की पूजा करना चाहिए।
- पूजा करने से पहले आपको गंगाजल से पूजास्थल को पवित्र करना चाहिए।
- उसके बाद गोबर ले एक मंडप तैयार करना चाहिए।
- मंडप तैयार करने के बाद मंडप के आस पास पांच अलग अलग रंगों से रंगोली बनानी चाहिए।
- उसके बाद उत्तर पूर्व दिशा में मुँह करके कुशा आसन में बैठ जाना चाहिए।
- फिर ॐ नमः शिवाय व् भोलेबाबा के अन्य मंत्रो का जाप करना चाहिए।
- ऐसे व्रत करने से व्रती को पुण्य मिलता है।
प्रदोष व्रत की तारीख और वार | व्रत और पक्ष |
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04 जनवरी 2023, बुधवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
19 जनवरी 2023, गुरूवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
02 फरवरी 2023, गुरूवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
18 फरवरी 2023, शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
04 मार्च 2023, शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
19 मार्च 2023, शनिवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
03 अप्रैल 2023, सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
17 अप्रैल 2023, सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
03 मई 2023, बुधवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
17 मई 2023, बुधवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
01 गुरूवार 2023, जून | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
15 गुरूवार 2023, जून | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
01 जुलाई 2023, शनिवार | शनि प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
14 जुलाई 2023, शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
30 जुलाई 2023, रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
13 अगस्त 2023, रविवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
28 अगस्त 2023, सोमवार | सोम प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
12 सितम्बर 2023, मंगलवार | भौम प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
27 सितम्बर 2023, बुधवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
11 अक्टूबर 2023, बुधवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
26 अक्टूबर 2023, गुरूवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
10 नवम्बर 2023, शुक्रवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
24 नवम्बर 2023, शुक्रवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
10 दिसम्बर 2023, रविवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) |
24 दिसम्बर 2023 रविवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष) |
प्रदोष व्रत से मिलने वाले लाभ
सबसे पहले तो प्रदोष व्रत का अलग- अलग दिन के अनुसार अलग- अलग महत्व है और अलग अलग ही लाभ मिलते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन यह व्रत आता है उसके अनुसार इसका नाम और इसका महत्व दोनों ही बदल जाते हैं। तो आइये अब अलग- अलग वार के अनुसार प्रदोष व्रत करने के क्या लाभ प्राप्त होते है उनके बारे में जानते हैं।
- यदि आप रविवार को प्रदोष व्रत रखते हैं, तो इस व्रत को करने से आयु में वृद्धि होती है और अच्छा स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है साथ ही स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों से बचे रहने में भी मदद मिलती है।
- सोमवार के दिन के प्रदोष व्रत को सोम प्रदोषम या चन्द्र प्रदोषम भी कहा जाता है और इस दिन व्रत करने से आपके मन में चल रही इच्छाओं की पूर्ति होती है यानी की आप जो चाहते हैं वो कामना करके इस व्रत को रख सकते हैं।
- मंगलवार को यदि प्रदोष व्रत रखा जाता है तो इसे भौम प्रदोषम कहा जाता है। इस दिन व्रत रखने से हर तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ सम्बन्धी समस्याएं नहीं होती है आप अपनी या परिवार के सदस्यों को रोगो से बचाव करने के लिए इस व्रत को कर सकते है।
- बुधवार के दिन प्रदोष व्रत को करने से हर तरह की कामना सिद्ध होती है।
- बृहस्पतिवार यानी गुरूवार के दिन प्रदोष व्रत करने से आपके शत्रुओं का नाश होता है और आपको उनके प्रभाव से बचे रहने में मदद मिलती है।
- शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत करने से जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है साथ ही दांपत्य जीवन में सुख-शांति आती है और आपके जीवन में खुशियां बरकरार रहने में मदद मिलती है।
- शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोषम कहा जाता है और इस दिन व्रत करने से जिन लोगो को संतान नहीं होती है उन लोगो को संतान की चाह को पूरा करने में मदद मिलती है।
तो यह है साल २०२३ में आने वाले सभी प्रदोष व्रत की तिथियां व् वार की सम्पूर्ण जानकारी, यदि आप भी यह व्रत करते हैं तो आप भी प्रदोष व्रत कब है व् उससे जुडी जानकारी जान सकते हैं।