25 जनवरी 2025 को षटतिला एकादशी का व्रत मनाया जाएगा, जो भगवान विष्णु की उपासना के लिए समर्पित है। इस दिन तिल के उपयोग और दान का विशेष महत्व होता है, जिससे पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति होती है।
प्रश्न: षटतिला एकादशी क्या है?
उत्तर: षटतिला एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस व्रत में तिल के छह प्रकार के उपयोग—स्नान, उबटन, हवन, तर्पण, भोजन, और दान—का विशेष महत्व है, जिससे व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रश्न: षटतिला एकादशी व्रत का महत्व क्या है?
उत्तर: षटतिला एकादशी व्रत के पालन से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे पुण्य की प्राप्ति होती है। तिल के उपयोग से शरीर और मन की शुद्धि होती है, जिससे आत्मा पवित्र होती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
प्रश्न: इस दिन कौन-कौन से धार्मिक कार्य किए जाते हैं?
उत्तर:
- प्रातःकाल स्नान के जल में तिल मिलाकर स्नान करना।
- तिल के उबटन का प्रयोग शरीर पर करना।
- तिल से हवन करना।
- तिल का तर्पण करना।
- तिल युक्त भोजन करना।
- तिल और अन्य वस्तुओं का दान करना।
प्रश्न: षटतिला एकादशी व्रत की पूजा विधि क्या है?
उत्तर:
- प्रातःकाल स्नान के जल में तिल मिलाकर स्नान करें।
- स्वच्छ वस्त्र धारण कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
- तिल मिश्रित जल से भगवान का अभिषेक करें।
- भगवान को तिल से बने व्यंजनों का भोग लगाएं।
- विष्णु सहस्रनाम या अन्य स्तोत्रों का पाठ करें।
- दिन भर तिल युक्त भोजन ग्रहण करें और तिल का दान करें।
- रात्रि जागरण कर भगवान का स्मरण करें।
- अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
प्रश्न: षटतिला एकादशी व्रत के लाभ क्या हैं?
उत्तर: इस व्रत के पालन से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं, आत्मा की शुद्धि होती है, और भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति होती है। तिल के उपयोग से शारीरिक और मानसिक शुद्धि होती है, जिससे जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का वास होता है।
षटतिला एकादशी व्रत का पालन श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष—इन चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करता है।
No comment